मेरे वजूद का वाहेमा– मुहम्मदअली ”वफा”
कुछ भी नही हम, फीर भी हमारे होनेका है वाहेमा
वक्त के सांचेमें एक दिन पीस जायेगी ये दास्तां
तू क्या तेरी नक्सी हकीकत का तीलस्म तूट जायेगा
राज़ादार भी है ये आईना चूप भी रहेगा आयना
Asalam Walekum,
અસલ્લામ વાલેકુમ,
બહુ સારી ગઝલ અને શાયરી લાકો છો વાંચી ને આનદ થયો.
By: ASHRAF ALI on મે 26, 2010
at 9:28 એ એમ (am)
THANKS
By: BHARAT DUDHAGAR on સપ્ટેમ્બર 20, 2009
at 12:32 એ એમ (am)
[…] ए मेरे वजूदका वाहेमा-मुहम्मदअली भैडु… […]
By: દર્પણ ધર્યા છે મે_વફા « બાગેવફા बागेवफा BAGEWAFA بَاغِ وَفا on માર્ચ 18, 2007
at 8:16 પી એમ(pm)