हम कुछ भी नहीँ फीर भी हमारे होने का है वाहेमा,
वक़्त के सांचेमे एक दिन पीस जायेगी सब दास्ताँ.
तु कया तेरी नक़्सी हक़ीक़त का तिलस्म तूट्जायेगा,
राजदार थाभी ये आयेना ,चुपभी रहेगा ये आयेना.
मुहम्मदअली भैडु”वफा”
हम कुछ भी नहीँ फीर भी हमारे होने का है वाहेमा,
वक़्त के सांचेमे एक दिन पीस जायेगी सब दास्ताँ.
तु कया तेरी नक़्सी हक़ीक़त का तिलस्म तूट्जायेगा,
राजदार थाभी ये आयेना ,चुपभी रहेगा ये आयेना.
मुहम्मदअली भैडु”वफा”
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